इस बार किसान के भाग्य का दुश्मन बने चूहे, फसल को कर रहे हैं बर्बाद

जब-जब भी किसान अच्छी फसल की उम्मीद लगाता है, तब-तब प्रकृति उसके भाग्य के साथ कोई ना कोई खिलवाड़ कर देती है। इस साल अत्याधिक बरसात के कारण क्षेत्र का किसान खरीफ की फसल से हाथ धो बैठा था। बांधों एवं जमीन में पर्याप्त पानी से उसे उम्मीद थी कि इस बार रबी की फसल उसकी इस कमी को पूरा कर देगी, लेकिन इस बार किसान के भाग्य और उम्मीद का दुश्मन चूहा बन गया है।

क्या है परेशानी

इस बारे में भास्कर टीम ने अलग-अलग इलाके में अपने रिपोर्टरों के माध्यम से रबी की फसल के बारे में जानकारी जुटाई तो पता चला कि जमीन में नमी एवं पर्याप्त पानी की मौजूदगी के कारण इस बार किसानों ने सर्वाधिक रूप से चने की बोआई की थी। ऐसे में बोआई के कुछ समय बाद ही खेतों में शानदार तरीके से चने की फसल उगी, लेकिन फसल उगने के दस दिन बाद ही अचानक पौधे मुरझाकर मरने लगे या बहुत बड़े इलाके में चने उगे ही नहीं। कुछ किसानों का कहना था कि इस बार चना बहुत ज्यादा दूरी पर उगने के कारण सभी हैरान थे, लेकिन धीरे-धीरे किसानों को इस बात का अहसास हो गया कि खेत में कदम-कदम पर चूहों की बिल हो रहे हैं, जिनमें सैकड़ों की तादात में छोटे-बड़े चूहे दिन के समय छिपे रहते हैं, लेकिन रात को टॉर्च जलाकर जब किसान देखता है तो सैकड़ों चूहे बिल से निकलकर चने के बीज एवं उसकी जड़ों को खाते हैं। यही कारण है कि खेतों में बड़ी तादात में चने और गेहूं की फसल बर्बाद हो रही है।

चने की बजाय सरसों बोने वाले फायदे में

इस बारे में सिनोली गांव निवासी हनुमान मीणा, भरतलाल मीणा, मऊ निवासी बत्तीलाल मीणा ने बताया कि क्षेत्र में बहुत कम लोगों ने सरसों की फसल बोई है, लेकिन वे चने बोने वाले किसानों की तुलना में ज्यादा फायदे में है। क्योंकि चूहे सरसों के बीज को या उसके पौधे को किसी भी प्रकार नुकसान नहीं पहुंचा रहे हैं। किसानों ने बताया कि इस बार सरसों की फसल को सांभर (रोजड़े) द्वारा नुकसान पहुंचाया जा रहा है, क्योंकि अधिकांश खेतों की तारबंदी के कारण खुले सरसों के खेतों में उनका हमला तेज है। फिर भी जो किसान अपनी फसलों की रखवाली कर रहे हैं, उनकी फसल को अभी तक कोई नुकसान नहीं है।

क्या करे किसान: किसानों ने बताया कि चूहे पर नियंत्रण का उनके पास कोई उपाय नहीं है। इसका कारण है कि चूहों को मारने के लिए बाजार में दुकानदार आसानी से दवा नहीं देता है और अगर देता भी है तो बहुत जांच पड़ताल के बाद सीमित मात्रा में। इसके अलावा चूहों पर नियंत्रण के लिए उनके पास कोई उपाय नहीं है।

कितना खराबा

इस बारे में भास्कर की टीम के अनुसार चूहों का सर्वाधिक प्रकोप सूरवाल, भगवतगढ़, चौथ का बरवाड़ा, कुस्तला, पांचोलास, मलारना डूंगर, श्यामपुरा, कुंडेरा, शेरपुर, खिरनी, मलारना स्टेशन, बौंली इस इलाके में देखा जा रहा है। इस इलाके में प्रारंभिक अनुमान के अनुसार अब तक लगभग पांच हजार हेक्टेयर में चने व गेहूं की फसल चूहों के कारण भारी नुकसान का सामना कर रही है।

डॉ. राम आसरे, कृषि वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र, करमोदा: चूहों का प्रकोप फसल के लिए हानिकारक होता है। बहुत ज्यादा संख्याओं में होने पर बीज या अंकुरित बीज को साफ कर देते हैं। इनको पूरे गांव के लोगों द्वारा सामूहिक रूप से प्रयास करके ही नियंत्रित किया जा सकता है। किसी एक किसान द्वारा नियंत्रित करने से पास के खेतों से ये वापस आ जाते हैं। इसके लिए किसान को सबसे पहले जितने भी चूहे के बिल है, उन्हें बंद करना चाहिए और दूसरे दिन उन्हें देखना चाहिए कि उनमें से कितने बिल वापस खुल गए हैं। उन बिल के पास चूहे मारने की दवा रखनी चाहिए। साथ ही आसपास चूहों को पानी ना मिले, यह निश्चित करना चाहिए। लेकिन यह उपाय तभी कारगर है जब पूरा गांव सामूहिक रूप से इसके लिए एक साथ प्रयास करें।